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अतिथि अध्यापकों से सीखिए ब्लैकमेलिंग का तरीका

सुरभि
सुरभि
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31 मार्च नजदीक आते ही हरियाणा में शिक्षा के क्षेत्र में हलचल पैदा हो जाती है । कारण अतिथि अध्यापकों का अनुबंध इसी तिथि तक होता है । हर बार अतिथि अध्यापक दवाब बनाते हैं और अपने अनुबंध को आगे बढाने में सफल हो जाते हैं । इस बार हालात कुछ मुश्किल हैं । कारण माननीय अदालत इनके खिलाफ है । अदालत इस भर्ती को फर्जी बता चुकी है क्योंकि एक स्कूल मुखिया को अध्यापक की नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं । यह सही भी है क्योंकि अब चतुर्थ दर्जे के कर्मचारी भी विभाग द्वारा रखे जाते हैं और अतिथि अध्यापकों के मामले में तो राजपत्रित अधिकारी ( प्रवक्ता ) भी स्कूल मुखिया द्वारा रखे गए ।
सरकार इस बार भी इनका अनुबंध बढाना चाहती थी । सरकार ने उच्च न्यायालय से छः माह का समय माँगा था । हालांकि नियमित भर्ती के लिए अदालत ने 322 दिन का समय दे दिया लेकिन अतिथि अध्यापकों के बारे में कहा कि छः माह तो दूर इन्हें छः दिन भी नहीं दिए जा सकते । कोर्ट से फटकार सुनकर अब अतिथि अध्यापक ब्लैक मेलिंग पर उतर आए हैं । एक समाचार पत्र के अनुसार सभी अतिथि अध्यापकों को यूनियन की तरफ से निर्देश दिया गया है कि वे दो दिन में मांग-पत्र तैयार करें कि या तो हमें स्थायी किया जाए या फिर हमें इच्छा मृत्यु का अधिकार दिया जाए ।
इस प्रकार की ब्लैकमेलिंग से अगर नौकरी मिलती हो तो देश के करोड़ों बेरोजगार ये तरीका अपना सकते हैं । लेकिन सिर्फ अतिथि ही इसके लिए दोषी नहीं वे लोग भी दोषी हैं जो दवाब के चलते नियमों को बदल देते हैं । अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति सत्रांत तक ही होनी निश्चित हुई थी लेकिन हर बार ये दवाब बनाते और सरकार घुटने टेक देती । यदि थोड़े-से हो-हल्ले से नियमों में परिवर्तन होते रहेंगे तो कोई नियम स्थायी कैसे हो पाएगा । नियमों को इस प्रकार दवाब में आकर तोडना कानून की तोहीन है । यह नियमों का पालना करने वाले लोगों का मजाक उड़ाने जैसा है ।
देखना यह है कि अतिथि अध्यापकों का दवाब कितना काम करता है । वैसे पात्र अध्यापक भी इस प्रकार का दवाब बना सकते हैं क्योंकि वे वर्षों से इस इन्तजार में है कि उन्हें रोजगार मिलेगा । सिर्फ पात्र ही क्यों अगर ये कामयाब होते हैं तो हमें सभी को ऐसा शपथ-पत्र तैयार कर लेना चाहिए कि या तो हमारी मनोकामना पूरी करो या फिर हमें इच्छा मृत्यु का अधिकार दो । कुछ करने से कितना सरल उपाय है यह ब्लैकमेलिंग । क्यों क्या यह नहीं है ?

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